बीजेपी सरकार देश की लोकतांत्रिक बुनियाद को हिलाने की कोशिश कर रही है - राघव चड्ढा
India's Democratic Foundations
-भाजपा विपक्षी दलों से राजनीतिक बदले लेने के लिए ED-CBI का दुरुपयोग कर रही है- राघव चड्ढा
-कहा, सीबीआई ने 95% से ज्यादा मुकदमे सिर्फ विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ दर्ज किए
ED सिर्फ़ प्री ट्रायल अरेस्ट करना चाहती है, कनविक्शन रेट मात्र 0.05% - राघव चड्ढा
चंडीगढ़, 5 मार्च: India's Democratic Foundations: देश के प्रमुख विपक्षी नेताओं द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखे जाने पर आम आदमी पार्टी(Aam Aadmi Party) के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि बीजेपी सरकार सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग(misuse of government agencies) कर देश के लोकतांत्रिक बुनियाद को लगातार हिलाने की कोशिश कर रही है। भाजपा को जो भी विपक्षी दल मजबूत नजर आता है, उसके यहां सीबीआई- ईडी भेज देती है और उसके नेताओं को पकड़ कर जेल में डाल देती है।
उन्होंने कहा कि आज देश के नौ प्रमुख विपक्षी नेताओं ने ईडी सीबीआई की रेड(ED CBI raid) के खिलाफ प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी लिखने वालों में चार वर्तमान मुख्यमंत्री एक वर्तमान उपमुख्यमंत्री और चार पूर्व मुख्यमंत्री शामिल हैं।
राघव चड्ढा ने कहा कि मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर देश में रोष है। एजेंसियों के बढ़ते दुरुपयोग के चलते सभी नेताओं ने एक साथ मिलकर प्रधानमंत्री को यह पत्र लिखा और अपील करी कि सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग कर राजनीतिक बदले लेने का कार्य बंद हो।
उन्होंने कहा कि सरकारी एजेंसियों का दुरूपयोग कर मोदी सरकार देश के विपक्ष को खत्म करने की कोशिश कर रही है। साजिश के तहत सिर्फ विपक्षी दलों के नेताओं पर ही सीबीआई - ईडी की रेड करवाई जा रही है। आज जिस तरह से पक्षपातपूर्ण तरीके से सरकारी एजेंसियां कार्रवाई कर रही है उससे देश का लोकतंत्र खतरे में पड़ गया है।
सीबीआई- ईडी की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि 2014 से अब तक सीबीआई ने जितने भी मुकदमे दर्ज किए उसमें 95% सिर्फ विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ हुए। यूपीए के समय ईडी ने मात्र 112 जगहों पर रेड की थी। लेकिन मोदी सरकार के दौरान ईडी ने 3000 से ज्यादा जगहों पर रेड किए। अभी हाल ही में एक जानकारी सामने आई जिसमें बताया गया कि ईडी ने जितने भी मुकदमे दर्ज हुए उसमें कनविक्शन रेट मात्र 0.05% है। मतलब कोर्ट में लगभग मुकदमें फर्जी साबित हुए।
उन्होंने विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों में राज्यपाल के हस्तक्षेप की भी चर्चा की और कहा कि केंद्र सरकार राज्यपाल के माध्यम से राज्य सरकार के रोजाना के कामकाज में दखल दे रही है। यह लोकतंत्र के लिए गलत संकेत है।
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